The best Side of रोज़ सुबह उठने के बाद ये जरुर सुनो

मेरी आवारगी में कुछ क़सूर अब तुम्हारा भी है,

क्योंकि वक्त खुद ही दोस्तों की याद दिला देता है।

हवाएं तेज़ हो जायें और कश्तियों में शाम हो जाये;

यादों से नहीं तो साथ गुज़ारे लम्हों से पूछ लेना​।

जिसके दिल में रहना चाहते हैं, वो सूरत सिर्फ याद बन कर रह जाती है।

ये अच्छा उसने मेरे कतल का तरीका ईजाद किया;

सुना है दोस्तों की दुआ में फरिश्तों की आवाज़ होती है!

ये नहीं कहते कि साथ रहो दूर सही पर याद रखना!

कोई भूल नहीं पाता और किसी को याद नहीं आती।

कितने अनमोल होते हैं ये यादों के रिश्ते भी,

उनसे हुई हर एक मुलाकात मेरी यादों में दौड आई।

मर जाऊ मैं हिचकियों से वो इस कदर मुझे याद करें!

If I detest a person since I am scared of him, and if I am aware about my despise but not of my dread, we might say that my dislike is acutely aware and that my dread is unconscious; continue to my worry would not lie in that mysterious spot: 'the' unconscious."[34]

आदतन तुमने कर दिये वादे, आदतन हमनेँ भी here ऐतबार किया;

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